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झुमका सिटी बरेली से अमिताभ बचन के क्‍या है संबंध Jhumka city Bareilly


वैसे तो बरेली किसी पहचान की मौहताज नहीं है बरेली नाम लेते ही लोगो की जुबान पर एक ही शब्द याद आता है और वो
है बरेली का झुमका| क्या आप जानते है की बरेली को झुमका सिटी के नाम से क्यों जाना जाता है तो आज की हमारी चर्चा इसी बिषय पर है|

आप सबने यह गाना “झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में”  बहुत बार सुना होगा| उत्तर प्रदेश के एक शहर बरेली को लोग झुमका सिटी भी कहते है रामगंगा नदी के किनारे बसा शहर बरेली अपने आप में एक  खूबसूरती की मिसाल है|

१९६६ में आई एक फिल्म मेरा साया का गाना “झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में” बहुत लोक प्रिये हुआ| इस फिल्म की अभिनेत्री साधना पर फिल्माया गया यह गीत हर किसी के जुबान पर चढ़ गया था| इस गाने को लिखने वाले शायर राजा महेंदी थे| 

असल में इस गाने का संबंध अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन और माँ तेजी बच्चन से है कहा जाता है हरिवंश राय बच्चन जी अक्सर काम की वजह से बरेली आया जाया करते थे| शादी से पहले एक बार हरिवंश राय बच्चन अपने दोस्त राज महेंदी साहब के साथ किसी काम के सिलसिले में बरेली गए थे और वही उनकी मुलाकात तेजी सूरी से हुई जो लाहौर की रहने वाली थी उस वक्त तेजी जी की सगाई किसी बड़े आदमी से हो चुकी थी मगर वो इस रिश्ते से खुश नहीं थी|

नए साल की पार्टी में हरिवंश जी और तेजी सूरी जी की पहली मुलाकात होती है| पार्टी के दौरान कुछ दोस्तों ने हरिवंश राय जी कविता सुनाने के लिए कहा| सबके कहने पर हरिवंश जी एक कविता सुनाने लगते है| उनकी कविता सुनकर सूरी जी की आँखे भर आई और इन चंद घंटो की मुलाकात में ही दोनों ने एकदूसरे को अपना जीवन साथी बनाने का फैसला कर लिया था| 

इस बात की खबर जब लोगो तक पहुची तो ऐसे में जब लोगो ने उनसे आगे की योजना के बारे में पूछा, तो तेजी सूरी ने इस पर जवाब दिया की “मेरा झुमका तो बरेली में ही गिर गया और इस बात को हरिवंश राय बच्चन जी के दोस्त राज मेहंदी अली साहब अच्छे से जानते थे| इसलिए जब मेरा साया फिल्म के गाना लिखने की बात हुई तो उन्होंने इसी को लाइन को गाने में बदल दिया जो सबके दिलो में बस गया|

आखिर ५४ साल बाद बरेली को खोया हुआ झुमका मिल ही गया| बरेली विकास प्राधिकरण ने शहर में एन एच २४ पर जीरो पॉइंट पर झुमका लगाया गया है| इसीलिए इसे झुमका तिराहा नाम दिया गया है यह २ किवंटल का झुमका पीतल और ताम्बे से बना है और इसे १४ फीट ऊँचे खम्बे पर लगाया गया है| इसे गुडगाँव के कारीगर द्वारा बनाया गया है जिसकी लागत करीब १८ लाख रूपए है| यह देखने में काफी आकर्षित लगता है| इस तिराहे से गुजरने वाले लोग झुमके के साथ सेल्फी लेने से रोक नहीं पाते है|

-- Written By : Madhuri Sharma

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