Bihar State Civil Court Employee Association ने किया संगोष्ठी का आयोजन, हुए सफल या विफल जाने पुरी खबर
पटना: आज ज्ञान
भवन, पटना में माननीय न्यायमूर्ति एहसानुद़दीन
अमानुल्लाह एवं माननीय न्यायमूर्ति संजय करोल, सर्वोच्य
न्यायालय, नई दिल्ली की उपस्थिति में बिहार राज्य व्यवहार
न्यायालय कर्मचारी, संघ पटना के द्वारा एक संगोष्टि (Conference) का अयोजन किया गया। जिसमें पटना उच्च न्यायालय के कई न्यायमूर्तिगण
के साथ साथ पटना उच्च न्यायलय के माननीय निबंधक महोदय एवं विधि सचिव पटना एवं न्यायाधीश
व्यवहार न्यायालय, पटना भी सम्मिलित हुए।
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पुस्तिका का विमोचन – माननीय न्यायमूर्ति एहसानुद़दीन अमानुल्लाह एवं माननीय न्यायमूर्ति संजय करोल के कर कमलों द्वारा संघ द्वारा प्रकाशित पुस्तिका “Role and Responsibilities of Ministerial Staff of Civil Courts in speedy dispensation of Justice” का विमोचन किया गया।
सचिव द्वारा कार्यक्रम का संबोधन –
संघ के माननीय सचिव सत्यार्थ सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित माननीय अतिथि एवं माननीय न्यायमूर्ति
एहसानुद़दीन अमानुल्लाह साहब एवं माननीय न्यायमूर्ति संजय करोल साहब, सर्वोच्य न्यायालय, नई दिल्ली का
कार्यक्रम में आने हेतु आभार प्रकट किया। सभी उपस्थिति माननीय न्यायूर्तिगण पटना
उच्च न्यायालय पटना एवं माननीय निबंधक पटना उच्च न्यायालय पटना एवं माननीय
विधिक सचिव पटना एवं न्यायाधीश व्यवहार
न्यायालय पटना को कार्यक्रम में आने एंव अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आभार
प्रकट किया। आगे सचिव महोदय द्वारा महर्षि गौतम द्वारा रचित न्याय दर्शन की चर्चा
भी गयी एवं बताया गया कि क्यो न्याय से जुडे व्यक्तियों जैसे- न्यायाधीश, अधिवक्ताओं को विद्वान कह के संबोधित
किया जाता है। सचिव महोदय ने बडे ही आदर सूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने बात
को रखा एंव कहा कि इतने बडे न्यायिक व्यवस्था में हमारी अहम भूमिका होने के बाद
भी हमारी चर्चा कही भी नही है। उन्होने सभी अतिथिगण से अपनी व्यथा को बताते हुए
कहा कि जो आप सभी हमारे लिये पिता तुल्य है और जो भी कार्य आप सभी के द्वारा हमे
दिया जाता है उसे हम कृतज्ञ होकर करते है, फिर भी हमारे कुछ
समस्याए जैसे वेतन विसंगति एवं वेतन उन्नयन काफी प्रयास के 37 साल बीत जाने के
बाद भी आज तक नही हो पाया है।
सचिव महोदय ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि श्रीमान जगरनाथ सेटटी अनुमोदित
नियमो के अनुरूप पॉच वर्ष में व्यवहार न्यायालय के कर्मियों को प्रोन्नति की व्यवस्था, बिहार सिविलकोर्ट रुल 2017 में की गयी थी परन्तु बिहार सिविल
कोर्ट रूल 2022 में इन नियमों की अनदेखी की गयी एवं सामान्य राज्य कर्मी की तरह
हमलोगो के बिहार सिविल कोर्ट रूल में 2022 में सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया।
आगे श्री सचिव महोदय द्वारा बताया गया कि सिविल कोर्ट रूल 2022 में अनुकम्पा की
कोई चर्चा नही होने के कारण हमारे सदस्यों के आश्रितों को अनुकम्पा नही मिल पा
रही है। आगे श्री सचिव ने कहा कि आप सभी हमारे अभिभावक एवं पितातुल्य है आपका सभी
न्यायमूर्तिगण का स्वागत है।
आगे माननीय श्री अमानुल्लाह साहब ने यह साफ कर दिया कि प्रशासन के पास आपकी
मांगो से आपको वंचित करने का रास्ता नही है। जिस पक्ष को इस समस्या से डील करना
है उसकी मजबूरियों को भी समझना होगा। आगे माननीय ने कर्मचारियों को विश्वास
दिलाया कि उच्च न्यायालय कभी आपके विरूद्ध कार्य नही करेगी। बैठकर अच्छे
वातावरण में विमर्श करना होगा, गाडी कही
अटक गयी है, रूल 2022 में क्या भूल हुई है पूरा कारण समझना
होगा। अगर कारण सही है जो क्यो नही सुधार होगा। कोर्ट खत्म होने के बाद भी उच्च
न्यायालय के सामने बडी समस्याऐ भी है। आप सभी को मानकर चलना होगा कि उच्च न्यायालय
आपके हित में करेगा। अगर कही कुछ देर हो रही है इसका मतलब है कि कही कुछ समस्या
में कुछ पेच लग गया है। उसका समाधान है भी, उसके लिए समय
चाहिए, बैठकर अच्दे वातावरण में डिसकशन होनी चाहिए। जो पहले
की चीजे भी वह 2022 में बदल गयी इसका कारण कन्फयुजन है, इसको सबने रूटिन समझा, इसको सही से किसी ने नही समझा। थोडी से ओवर कंफिडेन्स हो गयी थी। केवल
कॉज सही होने से नही होगा। रूल बनेगा, जस्टिफिकेशन होगा तब
सरकार केसामने रूल्स रेग्यूलेशन के माघ्यम से जायेगी। आगे माननीय ने कहा कि दो
माह में तीन मिटिंग विधि एवं वित्त विभाग से हुई परन्तु फिर भी कन्फयुजन दूर
नही हुआ। पीछे पलट कर देखता हू तो लगता है कि यदि मैने व्यक्तिगत रूप से चाहा
होता तो ये समस्या दूर हो गया होता। काफी हद तक चीजे डिसकस्ड हो चुकी थी परन्तु
फिर पता चला कि कुछ समस्या आ गयी।In principle ये डिसाईड हो
चुका है। अभी भी कुछ समस्याए है जो आपके सही मांगो को हासिल करने से दूर रखी है।
इसे कैसे आगे बढाना है। शेटटी कमीशन रिर्पोट आपके फेबर में है। आगे माननीय ने
कहा कि सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट कर्मचारियों और राज्य कर्मचारियों में तुलना नही
किया जा सकता है क्योकि हमारी डिउटी अलग है उनकी डिउटी अलग है। दोनो अपने अपने जगह
काम करते है। हमलोगो के काम तो कोर्ट खत्म होने के बाद शुरू होता है। जज के
आने से पहले आना एवं जज के जाने के बाद जाना पडता है। प्रशासन के पास जानकारीनही
है कि आज के समय में इस तरह से काम होता है। आज के आज आर्डर होना है, आज के आज डेट पडना है, आज के आज टाईप होना है।
माननीय ने यहॉ तक कह दिया सिविल कोर्ट के स्टाफ को पीओ के नखरे भी उठाने पडते है।
Personal Life and Family Life को छोडकर कोर्ट के लिए जो समय
आप देते है उसका मुआवजा आपको मिलना चाहिए। हाजिरी देना, फाईलिंग
करना, इत्यादि कामों से पॉबिलक आपसे पहले इन्टरेकटिव करती
है बाद में जज से। मै न्यायालय अधिकारियों से अपील करूगा कि अपने स्टाफ के साथ
को-ऑपरेट करे। छुटटी में भी काम करना, पेंडिंग फाईल खोजना,
यह सब जटिल काम है। पबिल्क एवं जुडिशीयल साईड दोनो तरफ से सामंजस
बनाना पडता है।
आगे माननीय ने कहा कि मै अपने साथियों से हमेशा कहता हू कि अपने सब ऑडिनेट के साथ अच्छे से व्यवहार करना चाहिए, मामूली सी गलती के लिए किसी को बडी सजा देना ठीक नही है। बहुत चीजों को नजर अंजाद करना जरूरी है। आप सभी डिसीप्लीन में रहे और कोर्ट भी आपके प्रति सहानूभूति अपनाएगी। आपका हरेक स्टेप आपके भाई बहनों के लिए दिक्कत कर सकता है। अच्छी छवि रहेगी तब आपकी मदद हर कोई करेगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि आपके फाईल को उच्च न्यायालय में सहानूभूति पूर्वक देखा जायेगा। आपको स्वयं एक माहौल बनाना होगा।
आगे माननीय ने कहा कि यदि हाईकोर्ट और सरकार के बीच कोई मिटिंग होती है और
आपकी बात हो रही है तो आपके संघ के एक या दो मेम्बर भी रहे ताकि समस्या को वही
पर सुलझाया जा सके। अगर आपकी बात हो रही है तो उस मीटिेंग में आपको भी रहना चाहिए।
आगे माननीय श्री करोल साहब ने कहा कि न्याय प्रणाली की रीढ की हडडी है
सिविल कोर्ट के स्टाफ। न्यायपालिका के इतिहास में मार्च 2020 को भूला
नही जा सकता है। सम्पूर्ण विश्व लगभग खडा हो चुका था परन्तु आप सभी के उपस्थिति
के कारण ही न्याय प्रणाली अपना काम करती रही और लोगो तक सुविधाए पहुचती रही। इसके
लिए आप सभी को दिल से धन्यवाद। ज्यूडिशीयरी का फस्ट फेज लोअर जुडिशीयरी है तथा
एडवोकेट एवं जज के उपर सिविल कोर्ट के स्टाफ का कार्य है। आपके सेवा एवं ईमानदारी
को भुलाया नही जा सकता है। अधिवक्ता, न्यायाधीश और कर्मचारी, न्यायिक व्यवस्था के तीन
स्तम्भ है। बिहार में बिहार केलोगो की मानसिकता बदलनी है। प्रशासन के तरफ से हमे
कभी नाकारात्मकता नही मिली है, मुझे पुरा विश्वास है कि
हमारे साथी इस समस्या को देखगे एवं हमारा भीसहयोग रहेगा। आगे माननीय न्यायमूति महोदय ने कहा कि राम
सेतु बनाने में गिलहरी जितना योगदान की थी उतना ही सही लेकिन आपके समस्या को
सुलझाने में मेरा भी योगदान आवश्यक होगा। संघ, राज्य सरकार
से बात करें एवं अगली मिटिंग तुरंत रखे।
उसके बाद संघ के सदस्यों को माननीय न्यायमूर्ति श्री संजय करोल साहब एवं
माननीय न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानुल्लाह साहब ने अपने अपने कर कमलो द्वारा मोमेन्टो
देकर सम्मानित किया।
अंत में संघ के अघ्यक्ष श्री राजेश्वर तिवारी ने कार्यक्रम में उपस्थित माननीय न्यायमूर्ति एहसानुद़दीन
अमानुल्लाह एवं माननीय न्यायमूर्ति संजय करोल, सर्वोच्य न्यायालय, नई दिल्ली पटना उच्च न्यायालय
के न्यायमूर्तिगण, पटना उच्च न्यायलय के माननीय निबंधक
महोदय एवं विधि सचिव पटना एवं न्यायाधीश व्यवहार न्यायालय, पटना तथा संघ् के पदाधिकारियों
एवं संघ के सदस्यों को कार्यकर्म में उपस्थित होने एवं कार्यक्रम को सफल बनाने के
लिए धन्यवाद दिया। साथ साथ ही तीन तीन बार पत्र देने के बाद भी सरकार के
प्रतिनिधियों के तरफ से किसी की भी उपस्थिति नही होने के कारण रोश व्यक्त किया। श्री
तिवारी ने कहा कि यदि सरकार का पक्ष रखने हेतु कोई उपस्थित होता तो इस सम्मेलन का
नतीजा अलग होता।
निर्ष्कष – बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ पटना विभिन्न समस्याओं यथा वेतन विसंगति, वेतन उन्नयन, प्रोन्नति, अनुकम्पा इत्यादि विगत कई वर्षो से लंबित मामले में आवश्यक सुधार हेतु दस्तावेजी साक्ष्य के साथ कई बार माननीय उच्च न्यायालय पटना का रूख किया तथा पटना उच्च न्यायालय ने साक्ष्यों को सही पाते हुए पत्र के माघ्यम से सरकार को दिशा निर्देश दिये उसके पश्चात भी जब कोई सफलता नही मिली तब संघ ने अपने बात को संगोष्ठि के माघ्यम से रखने काप्रयास किया। परन्तु बिहार सरकार के प्रतिनिधि के रूप में पुन: केवल पत्र ही प्राप्त हो सका एवं संगोष्ठी पर काफी खर्च करने के बाद भी बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ को केवल सांत्वना के ईलावा कुछ नही हासिल हुआ। संघ के अघ्यक्ष श्री तिवारी ने माननीय न्यायमूर्ति महोदयों से गुहार पर गुहार लगायी कि अनुकम्पा के आधार पर सिविल कोर्ट में बहाली काफी समय से बन्द है जिसकारण आश्रितों का परिवार लेबर कीजिन्दी जीने एवं रोटी के लिए मोहताज है। परन्तु लगता है अभी संघ को अपने उदेश्यों तक पहुचने में और समय लगेेेगा। आगे संघ क्या क्या प्रयास करती है और अगली सेमिनार का आयोजन करती है या नही तथा उसमें सरकार के प्रतिनिधियों को और न्यायालय अधिकारियों को एक मंच पर लाने में सफल होती है या नही इस बात पर ही बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ की समस्याओं का सामाधान होना निर्भर करता है।
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